Sujata Pratibimba
Fire Forward
Fire Forward
मैं हूं बेटी
मुझे गऊ ना बनावो
कि आज तो मैं ही अखाड़ों मे तुम्हारी इज्जत बचाती हूँ
मैं हूं बीवी
मुझे रती ना बनाओ
कि तुम्हारी खुशी के अलावा भी कई चांद हैं इस जहाँ में जी मुझे पार करने हैं
मैं हूं बहू
मुझे बेटी ना बनाओ
कि मेरी मां ने मुझे उतना ही दूध पिलाया है जितना आपने अपने बेटे को
मैं हूं मां
मुझे देवी बनाओ
तो सीता नहीं , लक्षमी , सरस्वती, और दुर्गा बनावो कि मैं मरते दम तक शेरनी रहूँ
मै हूँ औरत
मुझे कभी इंसा ही बना लो,
कि मेरे थके कंधो को भी इजाजत हो
कि मैं परिवार का बोझ उतार सकूँ,
कि मेरे पंख भी परवाज़ लेना जानते हैं,
मेरा दिल भी चैन की नींद चाहता है,
मेरे मुंह को भी दो निवालों की
और रूह को
प्यार की सदियों से भूख है।
I am a woman. I know I am capable of things which people do not think I can do, being a woman. I know the generation of women before me could not even dream of stuff I can imagine now of doing. But even today my accomplishments are measured by more of what I am as mother/wife, daughter and daughter in law, rather than what are my "other" abilities.
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